जयपुर। राजस्थान पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने आमजन को एक गंभीर साइबर धोखाधड़ी के प्रति आमजन को सचेत किया है। पुलिस महानिदेशक राजस्थान राजीव कुमार शर्मा के निर्देशानुसार साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से जारी इस एडवाइजरी में बताया गया है कि हाल ही में अपराधी एक नया तरीका अपना रहे हैं।
वे आम नागरिकों को कॉल कर स्वयं को वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बताते हैं और उन्हें धमकाते हैं कि उनका मोबाइल नंबर या आधार नंबर दिल्ली में हाल ही में हुई कार ब्लास्ट जैसी गंभीर आपराधिक घटना से जुड़ा हुआ है।
इस तरीके से करते हैं वारदात :
उपमहानिरीक्षक पुलिस साइबर क्राइम श्री विकास शर्मा ने बताया कि साइबर अपराधी पीड़ित को डराकर अपने सीनियर अधिकारी से बात कराने की बात कहते हैं और उन्हें मानसिक रूप से दबाव में ले आते हैं। दबाव बनाने के बाद वे आमजन से उनकी व्यक्तिगत जानकारी, बैंक/यूपीआई विवरण मांगते हैं या उन्हें वीडियो कॉल पर वेरिफिकेशन के बहाने धमकाकर धनराशि की मांग करते हैं। यह तरीका लोगों में डर पैदा करके उन्हें त्वरित कार्रवाई के लिए मजबूर करता है, जिससे वे अपनी गोपनीय जानकारी साझा कर देते हैं।
क्या करें और क्या न करें ?
डीआईजी शर्मा ने बताया कि राजस्थान पुलिस आमजन को दृढ़ता से सलाह देती है कि इस प्रकार की कोई भी कॉल आने पर बिल्कुल न घबराएं। पुलिस के नाम पर धमकाने वाले किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ अपनी व्यक्तिगत, बैंक, आधार, या अन्य संवेदनशील दस्तावेज़ों से संबंधित जानकारी साझा न करें। इसके अलावा किसी भी संदिग्ध लिंक, एसएमएस/व्हाट्सएप संदेश पर क्लिक करने से बचें।
सहायता एवं शिकायत के लिए संपर्क :
ऐसी कोई भी संदिग्ध कॉल आने पर, तुरंत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन, डायल 112 अथवा साइबर हेल्प डेस्क पर संपर्क करें। उन्होंने बताया कि अगर आप किसी भी प्रकार की ठगी का शिकार हो जाते हैं तो तत्काल निम्नलिखित कदम उठाएं:
तुरंत शिकायत करें: घटना की सूचना निकटतम पुलिस स्टेशन / साइबर पुलिस स्टेशन को दें, या साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें। तत्काल सहायता के लिए राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 या साइबर हेल्पडेस्क नंबर 9256001930 / 9257510100 पर संपर्क करें।
बैंक को सूचित करें: धोखाधड़ी की सूचना अपने बैंक को तुरंत दें ताकि किसी भी संदिग्ध ट्रांसेक्शन को समय रहते रोका जा सके।
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