चौमूं। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन संचालित होने वाली राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) के निर्देशक तथा राष्ट्रीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि चौमूं स्थित आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र के पुस्तकालय में रखी सभी पांडुलिपियों, भाष्यों, ग्रंथों एवं अति प्राचीन पुस्तकों को संरक्षित करने हेतु इनका डिजिटलाइजेशन किया जाएगा। ज्ञात रहे वैद्य शुकदेव जी शास्त्री के समय से आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति एवं आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र के अनेक ग्रंथ इसके पुस्तकालय में उपलब्ध हैं जिनका वर्तमान समय में शोध के लिए अत्यंत महत्व है।
इससे पूर्व राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के आयुर्वेद पांडुलिपि विज्ञान के नोडल अधिकारी असित के. पंजा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने 30 अगस्त 2021 को आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र चोमू का दौरा किया जिसमें उन्होंने अनेक पांडुलिपियों का गहन अध्ययन कर उनपर शोध करने एवं उनका डिजिटलीकरण करने के लिए लगभग 26 पांडुलिपियों को अपने साथ राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान ले गए थे। जो दिनांक 23 सितम्बर 2021 को एनआईए परिसर में कुलपति संजीव शर्मा द्वारा मूल पांडुलिपियों सहित इनकी सीडी तथा प्रमाण पत्र संस्था को प्रदान की गई। तथा यह विश्वास दिलाया कि शीघ्र ही पुस्तकालय की शेष सभी महत्व की पुस्तकों का डिजिटलीकरण भारत सरकार द्वारा किया जाएगा तथा आयुष मंत्रालय के वेब पोर्टल पर यह आम जनता के लिए उपलब्ध होगा। इस अवसर पर आयुर्वेद पांडुलिपि विज्ञान के नोडल अधिकारी असित के. पांजा, संहिता एवं सिद्धांत के प्राध्यापक अनिल कुमार शर्मा, आयुर्वेद विज्ञान परिषद के अध्यक्ष वैद्य गोपीनाथ पारीक, आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र के मंत्री रघुवर दयाल पारीक, प्रन्यासी कैलाश चंद सैनी एडवोकेट प्रदीप कुमार शर्मा भी उपस्थित थे।