आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र में रखी पांडुलिपियों को राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान करेगी संरक्षित

चौमूं। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के आयुर्वेद पांडुलिपि विज्ञान के नोडल अधिकारी असित के. पांजा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र, सुभाष सर्किल, चौमूं आयी।

यह टीम देश के विभिन्न स्थानों पर आयुर्वेद पर रचित पांडुलिपियों का संग्रह, संरक्षण एवं डिजिटलाइजेशन कर इन पांडुलिपियों का डिजिटल फॉर्मेट में बना कर आयुष मंत्रालय भारत सरकार एवं राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के वेब पोर्टल पर इसकी पूरी जानकारी देती है कि यह पांडुलिपि कहां से उपलब्ध हो सकती है।

यह टीम इन पांडुलिपियों का उपयोग शोध कार्य हेतु करती है तथा इसका व्यवसायिक उपयोग नहीं करती साथ ही यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में प्राप्त पांडुलिपियों का जीर्णोद्धार भी करती है।

आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र,चौमूं से यह टीम लगभग 11 अति प्राचीन एवं महत्वपूर्ण पांडुलिपियां तथा नो प्राचीन भाष्य तथा लगभग 250 खुले पन्ने जिन को व्यवस्थित किया जाएगा, अपने साथ लेकर गए हैं उन सभी को डिजिटाइज कर पुनः संस्था को लौटा दिया जाएगा।
इस अवसर पर राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के संहिता एवं सिद्धांत के प्राध्यापक अनिल कुमार शर्मा, डॉ प्रवीण कुमार बी रिसर्च एसोसिएट राष्ट्रीय आयुर्वेद पांडुलिपि नोडल एजेंसी, वैद्य गोपीनाथ पारीक अध्यक्ष आयुर्वेद विज्ञान परिषद राजस्थान, रघुवर दयाल पारीक मंत्री आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र, कैलाश चंद सैनी, वैद्य ओम प्रकाश शर्मा, वैद्य रामविलास शर्मा एडवोकेट प्रदीप कुमार शर्मा व संस्था के कर्मचारी उपस्थित थे।

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