चक निवासी पर्वतारोही गीता सामोता का किया सम्मान, माउण्ट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने पर सर्व समाज ने किया सम्मान, खाचरियावास से कुली एवं चक गांव तक निकली रैली में जगह-जगह हुआ भव्य स्वागत

 रेनवाल । चक निवासी गीता सामोता के द्वारा विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने की कहानी कोई कम संघर्षमय नहीं है।एक लड़की के लिए पहाड़ों पर चढ़ना,फिर इतिहास बनाना यह कोई एक दिन के संघर्ष की कहानी नहीं है। अभावों के बीच आगे बढ़ने की एक लंबी कहानी है जो अन्य लड़कियों को भी प्रेरित कर रही है।

चक गांव से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पुरी करने के बाद खाचरियावास,सीकर में पढ़ाई की एवं उसके बाद जयपुर महारानी कालेज से बीएससी की।एक साल पीएमटी की तैयारी के बाद 2011 में सीआईएसएफ में सब इंस्पेक्टर के रुप में राजकीय सेवा में चयन हुआ।
अपनी प्रबल इच्छाओं को आगे बढ़ाते हुए सन 2015 में पर्वतारोही का बैसिक कोर्स करने के बाद पहली सफलता के रुप में 2019 में उत्तराखंड के गंगोत्री में चाकू की नोक के समान सतोपंथ पर्वत की चोटी को फतह किया।सन 2021 में भारतीय अर्धसैनिक बल के दल के साथ माउंट एवरेस्ट अभियान के लिए गई ,लेकिन खराब मौसम की वजह से कैम्प नंबर 3 से वापस लौटना पड़ा। 


अगस्त 2021 में युरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस को फतह किया। सितंबर 2021 को अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलीमंजारो को फतह कर मात्र 28 दिन में दो महाद्वीपो की चोटिया को फतह कर सबसे तेज पर्वतारोही का खिताब जीता।फ़रवरी 2022 में दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी एकांकगुआ को फतह किया। 8 मार्च 2022 महिला दिवस पर आस्ट्रेलिया महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट खोजीओस्को को फतह किया।जून 2022 में लद्दाख में मात्र तीन दिन में पांच चोटिया फतह की। जनवरी 2025 में शीतकाल में लद्दाख की 6100 मीटर ऊंची चोटी कियागरन्री फतह की।अभी हाल ही 19 मई 2025 को विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर एक नया इतिहास रचा।
  पुरस्कार-  2023 में दिल्ली महिला आयोग द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मानित किया गया। नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा गो विंग विंग्स टु ड्रीम्स, सपने को उड़ान सम्मान से सम्मानित किया गया।इसी प्रकार सीआईएसएफ द्वारा समय-समय पर कई सम्मान एवं पुरस्कार देकर सम्मानित किया जा चुका है।गीता सामोता के चार बहिनें है तथा भाई नहीं है।पिता के द्वारा शुरु से ही मिले संस्कारों की वजह से कभी भी गीता के कदम नही लडखडाये। इसी वजह से गीता ने सात महाद्वीपो में से पांच महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटीओ को फतह किया ‌।
लड़की होना अब अभिशाप नहीं,समाज के लिए एक बडी प्रेरणा है।हर मुश्किल काम को भी आज की लडकीयां एक चुनौती के रुप स्वीकार करते हुये उसमें आगे भी आ रही है तथा साथ में उसमें बड़ी सफलता हासिल करते हुए समाज एवं विशेष रुप से लडको के लिए एक मिसाल भी बन रही है।

जहां हर तरफ लड़कियों को कमजोर समझ कर उन्हें सिर्फ चार दिवारी या घर ग्रहस्थी तक सीमित करने का प्रयास किया जाता है ,उन्हीं में से फिर कोई रानी लक्ष्मीबाई,किरण बेदी,पी टी उषा बन कर लडकीयों के नाम एवं सम्मान में एक नया अध्याय जोड़ देती है।

कुछ ऐसा ही बल्कि इससे भी बढ़कर आज सीकर जिले के चक गांव की गीता सामोता ने कर दिखाया है।उसकी सच्ची लगन, मेहनत एवं दृढ़ इच्छाशक्ति ने हर अभावों,हर मुश्किलो एवं हर मुसीबतों को पार कर भारतीय महिलाओं के स्वर्णिम इतिहास के साथ-साथ भारतीय सेना के इतिहास को भी चार चांद लगाये है। 


चक निवासी गीता सामोता ने 19 मई 2025 को सुबह 8.30 बजे स्वर्णिम इतिहास लिखते हुये विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह किया।विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने के साथ ही सबसे पहले तिरंगा झंडा फहराया,भारत माता की जय बोली,फिर उसके बाद अपने ईष्ट देव वीर तेजाजी महाराज का झण्डा लगाकर अपने ईष्ट देव, गुरुजनों एवं गांववासीओ का आभार व्यक्त किया।
इस प्रकार भारतीय सेना के अभिन्न अंग सीआईएसएफ में अब तक के इतिहास में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली अधिकारी बनी है। उसकी इस सफलता को लेकर सीआईएसएफ सहित उसके पैतृक गांव,जिले एवं राज्य में भी एक गौरव की खुशी है।
सर्व समाज के तत्वावधान में गांव खाचरियावास से कुली एवं चक गांव तक निकली स्वागत रैली में जगह-जगह लोगों ने पर्वतारोही गीता सामोता एवं उसके पिता पूर्व वायु सैनिक किशन सामोता एवं माता जड़ाव सामोता का माला पहनाकर भव्य स्वागत किया।

लगभग छ घंटे तक चली स्वागत रैली एवं सम्मान समारोह में हर तरफ गीता सामोता की ही चर्चा थी।चक गांव में तेजाजी महाराज के मंदिर परिसर में आयोजित सम्मान समारोह में सरपंच मंगलचंद बुरड़क सहित विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों के पदाधिकारियों ने एवं महिलाओं, युवाओं ने गांव बेटी का जोरदार स्वागत किया।इस अवसर पर रेनवाल सैनिक वेलफेयर सोसायटी ने भी गीता सामोता एवं पूर्व वायु सैनिक किशन सामोता को प्रतिक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

इस अवसर रेनवाल सैनिक वेलफेयर सोसायटी के संरक्षण नंदाराम काजला, कोषाध्यक्ष गोपाल सेपट, वरिष्ठ सदस्य छीतरमल धायल,जगनलाल ताकर, मोहन सेपट एवं सहयोगी विष्णु जाखोटिया आदि ने पैतृक गांव चक पहुंच कर सम्मानित किया। सम्मान समारोह का मंच संचालन वरिष्ठ शिक्षक प्रभुदयाल कुमावत ने किया। (विष्णु जाखोटिया की रिपोर्ट)






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